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भारत में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा हिंदी है| हमारे देश के 77% लोग हिंदी लिखते, पढ़ते, बोलते और समझते हैं| हिंदी उनके कामकाज का भी हिस्सा है| पूरे देश में हिन्दी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है| हालांकि इस 14 सितंबर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाने के पीछे लंबा इतिहास छिपा है| एक नजर इस इतिहास पर -
आजाद भारत के लिए भाषा का सवाल बड़ा बन गया था क्योंकि यहां सैंकड़ों भाषाएं और बोलियां बोली जाती हैं| छह दिसंबर 1946 को आजाद भारत का संविधान तैयार करने के लिए संविधान सभा का गठन हुआ| 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से निर्णय लिया कि हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी| पहला आधिकारिक हिन्दी दिवस 14 सितंबर 1953 में मनाया गया| इसके बाद से हर साल 14 सितंबर को हिन्दी दिवस मनाया जाने लगा|
स्वतन्त्र भारत की राजभाषा के प्रश्न पर 14 सितंबर 1949 को काफी विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया जो भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की धारा 343(1) में इस प्रकार वर्णित है: संघ की राज भाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी| संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा| लेकिन जब राजभाषा के रूप में इसे चुना गया और लागू किया गया तो गैर-हिन्दी भाषी राज्य के लोग इसका विरोध करने लगे और अंग्रेज़ी को भी राजभाषा का दर्जा देना पड़ा|
राजभाषा सप्ताह या हिन्दी सप्ताह
राजभाषा सप्ताह या हिन्दी सप्ताह 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस से एक सप्ताह के लिए मनाया जाता है| इस पूरे सप्ताह अलग अलग प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है| यह आयोजन विद्यालय और कार्यालय दोनों में किया जाता है| इसका मूल उद्देश्य हिन्दी भाषा के लिए विकास की भावना को लोगों में केवल हिन्दी दिवस तक ही सीमित न कर उसे और अधिक बढ़ाना है| इन सात दिनों में लोगों को निबंध लेखन, आदि के द्वारा हिन्दी भाषा के विकास और उसके उपयोग के लाभ और न उपयोग करने पर हानि के बारे में समझाया जाता है|
10 जनवरी को मनाया जाता है विश्व हिन्दी दिवस
हर साल 10 जनवरी को विश्व हिन्दी दिवस भी मनाया जाता है| इसकी शुरुआत महाराष्ट्र के नागपुर से साल 1975 में हुई थी| हालांकि इसे साल 2006 में आधिकारिक दर्जा और वैश्विक पहचान मिली|
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