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हर्षोल्लास और रोशनी का पर्व है - गुरू नानक जयंती

गुरू नानक जयन्‍ती, 10 सिक्‍ख गुरूओं के गुरू पर्वों या जयन्तियों में सर्वप्रथम है। यह सिक्‍ख पंथ के संस्‍थापक गुरू नानक देव, जिन्‍होंने धर्म में एक नई लहर की घोषणा की, की जयन्‍ती है। 10 गुरूओं में सर्व प्रथम गुरू नानक का जन्‍म 1469 में लाहौर के निकट तलवंडी में हुआ था। इनके पिता का नाम कल्यानचंद या मेहता कालू जी था, माता का नाम तृप्ता देवी था।

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जानिए एक महान पराक्रमी हिन्दू शासक पृथ्वीराज चौहान के बारे में

एक अच्छा योद्धा, एक बेहतरीन दोस्त या प्रेमी भी हो सकता है, क्या अपने कभी सोचा है ? आज हम आपको पृथ्वीराज चौहान की एक ऐसी कहानी सुनाएंगे जो उन्हें एक अचूक निशानेबाज तो दर्शाती ही है लेकिन एक सख्त देह के भीतर एक कोमल दोस्त और प्रेमी भी छिपा होता है, यह भी बताती है। दिल्ली पर शासन करने वाले आखिरी हिन्दू शासक पृथ्वीराज चौहान के नाम से कौन वाकिफ नहीं है। पृथ्वीराज  चौहान एक राजपूत राजा थे जिन्होंने 12वी सदी में उत्तरी भारते के दिल्ली और अजमेर साम्राज्यों पर शासन किया था | 

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जानिए संत कबीरदास से जुडी कुछ रोचक बातें

संत कबीरदास का जन्म सन 1398 में ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन वाराणसी के पास लहरतरा विस्तार में हुआ था। इनके जन्म के सम्बध में कहा जाता है कि कबीर काशी की एक ब्राह्मणी विधवा की सन्तान थे। समाज के डर से ब्राह्मणी ने अपने नवजात पुत्र को एक तालाब के किनारे छोड दिया था । ऐसा कहा जाता है कि नीमा ब्याह कर के नीरू संग अपने ससुराल बनारस जा रही थी, तभी रास्ते में लहरतरा विस्तार में सरोवर के पास वह सब विश्राम कर रहे होते हैं।

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पढ़िए महान चक्रवर्तीन सम्राट अशोक की कहानी

अशोक बिंदुसार और सुभद्रांगी का पुत्र और महान सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य का पौत्र था | अशोक की माँ धर्म का आचरण करती थी, इसलिए उन्हें धर्मा के नाम से भी जाना जाता था | बालक के व्यक्तित्व एवं चरित्र निर्माण में माँ का योगदान सर्वाधिक होता है। विश्व इतिहास के पहले महान सम्राट अशोक इसके अपवाद नहीं थे। धर्मा विदुषी और सुंदरी थी | अशोक के ओजस्वी व्यक्तित्व की निर्मात्री भी वही होती है और उसे सिंहासन दिलाने वाली भी वही बनती है | बौद्ध ग्रन्थ दीपवंश में बिन्दुसार की 16 पत्नियों एवं 101 पुत्रों का जिक्र है। बिंदुसार ने अपने सभी पुत्रों को आचार्य चाणक्य द्वारा निर्धारित गुरुकुल प्रणाली के माध्यम से बेहतरीन शिक्षा देने की व्यवस्था की थी।

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जानिए शंकर के अवतार आदि शंकराचार्य के जीवन की कुछ विशेष गाथायें

भारतीय इतिहास में ऐसे कई महान व्यक्ति हुए हैं, जिनका जीवन ही उनका परिचय रहा है। उन्हें किसी विशेष परिचय की आवश्यकता नहीं होती। ऐसा ही एक संन्यासी बालक था जो एक दिन गांव-गांव भटकता हुआ एक ब्राह्मण के घर भिक्षा मांगने पहुंचा। तब उसकी आयु मात्र सात वर्ष की थी। वह ब्राह्मण के घर के बाहर पहुंचा और भिक्षा मांगी। लेकिन यह एक ऐसे ब्राह्मण का घर था जिसके पास खाने तक को कुछ नहीं था, तो वह भिक्षा कैसे देते। अंतत: ब्राह्मण की पत्नी ने बालक के हाथ पर एक आंवला रखा और रोते हुए अपनी गरीबी का वर्णन किया। उस महिला को यूं रोता हुआ देख बालक का हृदय द्रवित हो उठा। तभी उस बालक ने मन से मां लक्ष्मी से निर्धन ब्राह्मण की विपदा हरने की प्रार्थना की जिसके पश्चात प्रसन्न होकर महालक्ष्मी ने उस परम निर्धन ब्राह्मण के घर में सोने के आंवलों की वर्षा कर दी। यह थी उस अद्भुत बालक की कहानी, जो ना केवल इस कार्य से बल्कि अपने अनेक कार्यों से सृष्टि में जाना गया।

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जानिए क्या हैं शरद पूर्णिमा की रात्रि का महत्व

शरद पूर्णिमा, जिसे कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा भी कहते हैं | हिन्दू पंचांग के अनुसार यह दिन आश्विन मास की पूर्णिमा को आता हैं।  शरद पूर्णिमा का बड़ा महत्व है , वर्षभर में बारह पूर्णिमा होती है लेकिन सिर्फ शरद पूर्णिमा पर ही अमृतवर्षा होती है | यह एक मान्यता मात्र नहीं है, वरन आध्यात्मिक अवस्था की एक खगोलीय घटना है | इस रात्रि चन्द्रमा का ओज सबसे तेजवान एवं उर्जावान होता है, इसके साथ ही शीतऋतु का प्रारंभ होता है |शीतऋतु में जठराग्नि तेज हो जाती है और मानव शरीर स्वस्थ्यता से परिपूर्ण होता है |

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जानिए नवरात्री क्यों मनाई जाती है

हालांकि नवरात्री साल में दो बार मनाई जाती है, परन्तु पंचाग के अनुसार नवरात्री साल में चार बार पौष, चैत्र, आषाढ व अश्विन महिनों की एकम् से नवमी तक के समय में मनाई जाती है | लेकिन हम विशेषकर चैत्र मास व आश्विन मास की नवरात्रि को ही अधिक महत्व देकर मानते है | इसी के साथ दिपावली से पहले आने वाली आश्विन मास की नवरात्रि को भारतीय संस्कृति में अत्यधिक महत्व प्राप्त है क्योंकि पितृपक्ष के 16 दिनों की समाप्ति के बाद आश्विन मास की नवरात्रि का आगमन होता है

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जानिए प्रखर कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य के बारे में

आचार्य चाणक्य के बारे में जितना ज्ञान अर्जित करना चाहो, वो भी कम ही पड़ जाता है | आचार्य चाणक्य चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। उनका जन्म एक घोर निर्धन परिवार में हुआ था | अपने उग्र और गूढ़ स्वभाव के कारण वे "कौटिल्य" नाम से भी विख्यात हैं। माना जाता है कि चाणक्य ने ईसा से 370 वर्ष पूर्व ऋषि चणक के पुत्र के रूप में जन्म लिया था। वही उनके आरंभिक काल के गुरु थे। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि चणक केवल उनके गुरु थे। चणक के ही शिष्य होने के नाते उनका नाम "चाणक्य" पड़ा। उस समय का कोई प्रामाणिक इतिहास उपलब्ध नहीं है। इतिहासकारों ने प्राप्त सूचनाओं के आधार पर अपनी-अपनी धारणाएं बनाई। परंतु यह सर्वसम्मत है कि चाणक्य की आरंभिक शिक्षा गुरु चणक द्वारा ही दी गई। संस्कृत ज्ञान तथा वेद-पुराण आदि धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन चाणक्य ने उन्हीं के निर्देशन में किया। चाणक्य मेधावी छात्र थे।

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जानिए राजकुमार सिद्धार्थ से गौतम बुद्ध बनने की दास्तां

भगवान् बुद्ध  के बारे में कुछ भी कहना सूरज को दिया दिखाने जैसा है,उनके व्यक्तित्व और सिद्धांत के आगे कोई नहीं टिक सकता| जो एक बार बौध धम्म को ठीक से समझ लेता है वो फिर कहीं नहीं जा सकता| वैष्णव हिंदू धर्म में गौतम बुद्ध को भगवान विष्णु का नवा अवतार बताया है लेकिन बुद्ध धर्म वेदों पर विश्वास नही करता है आइये गौतम बुद्ध की जीवनी पर प्रकाश डालते है |

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जानिए कैसे हुई विश्व की सबसे बड़ी फास्ट फ़ूड रेस्तरां श्रृंखला मैकडॉनल्ड्स की शुरुआत

आज के समय में मैकडॉनल्ड्स फास्ट फ़ूड रेस्तरां की विश्व की सबसे बड़ी श्रृंखला बन चूका है, जो प्रतिदिन 58 मिलियन से ज्यादा ग्राहकों को फ़ूड सेवा प्रदान करती है। 1940 में रिचर्ड और मौरिस मैकडॉनल्ड नाम के दो भाइयों ने मिलकर कैलिफोर्निया के सैन बर्नार्डीनो में छोटा सा रेस्त्रां खोला था | इन दोनों भाइयो को मैक और डिक मैकडोनाल्ड के नाम से भी जाना जाता था | 1948 में उनके द्वारा आरंभ किये गए "स्पीडी सर्विस सिस्टम" ने आधुनिक फास्ट-फ़ूड रेस्तरां की नींव रखी थी।

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