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बचपन से ही हमें सिखाया जाता है कि अगर सफल होना है तो सुबह जल्दी उठने की आदत डालो । जल्दी उठने पर आपके पास पर्याप्त समय होता है, ज्यादा से ज्यादा काम निपटने के लिए । कई महान हस्तिया और बड़ी-बड़ी कंपनियों के सीईओ भी सुबह जल्दी उठते है । साथ ही यह भी कहा जाता है कि सुबह उठने से सेहत अच्छी रहती है। आप खुश रहते हैं और जीवन पर आपका नियंत्रण रहता है।
इस तरह की अच्छी बातों के बावजूद सुबह उठने से कोई जादू नहीं हो जाता। न ही इससे समय प्रबंधन की समस्याएं सुलझती हैं। कुछ लोगों के लिए तो इसका उलटा असर होना भी चालू हो जाता है। क़ामयाबी उस दिनचर्या को ढूंढ़ने में है जो आपके अनुकूल हो। यहां कुछ टिप्स हैं जो आपके लिए जगने के सही समय को तय करने में मदद कर सकते हैं।
जल्दी उठने के फ़ायदे क्या हैं?
इसके कई फ़ायदे हो सकते हैं, कम से कम उन लोगों की नज़र में जो जल्दी उठते हैं। कई लोगों का कहना है कि सुबह के समय ध्यान भटकाने वाली चीजें कम होती हैं। घर के बच्चे या दूसरे लोग सो रहे होते हैं। उस समय मैसेज और ईमेल भी कम आते हैं। कुछ अध्ययनों में यह सुझाया गया है कि सुबह जगने और सफलता पाने में संबंध हो सकता है। जो लोग जल्दी उठते हैं उनका पारंपरिक कॉरपोरेट शेड्यूल के साथ अच्छा तालमेल रहता है और वे सक्रिय व्यक्तित्व वाले होते हैं। स्कूल-कॉलेज में उनका ग्रेड बेहतर हो सकता है और नौकरी में भी उनको मोटी तनख्वाह मिल सकती है। यदि आप प्राकृतिक रूप से सुबह जल्दी नहीं उठ पाते हैं तो आप कुछ रणनीतियां आजमा सकते हैं। सुबह कसरत करने और जितनी जल्दी हो सके सूरज की रोशनी में आने से मेटाबॉलिज्म बढ़ता है और शरीर को गर्म रखने में मदद मिलती है, जिससे शरीर में फुर्ती आती है। लेकिन अलार्म घड़ी की मदद से जगना सबके लिए कारगर नहीं हो सकता। यदि आप सुबह के व्यक्ति नहीं हैं और जबरदस्ती ऐसा बनने की कोशिश कर रहे हैं तो इसके नुकसान भी हो सकते हैं।
क्या जल्दी उठने के नुकसान भी हो सकते हैं?
हां। यदि आप सामान्य रूप से जल्दी उठने वाले व्यक्ति नहीं हैं और उत्पादकता बढ़ाने के लिए ऐसा करने की कोशिश कर रहे हैं तो नुकसान मुमकिन है। अमरीका में जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी की एसोसिएट प्रोफेसर रैचेल सलास नींद संबंधी विकारों की विशेषज्ञ हैं। उनका कहना है कि किसी सीईओ की देखादेखी अगर आप हफ्ते के दो दिन सुबह 5 बजे उठने की कोशिश करते हैं तो आप अपने शरीर के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। पूरी रात की नींद लेना और हर रात एक निश्चित समय पर सोना और तय समय पर जगना, दोनों महत्वपूर्ण हैं। इससे भी ज़्यादा नुकसानदेह है सुबह जल्दी जगने के लिए नींद में कटौती। नींद में कटौती करने का मतलब है इसके नकारात्मक प्रभावों को न्यौता देना। इससे एकाग्रता घट सकती है, वजन बढ़ सकता है, बेचैनी हो सकती है। दिल की बीमारी और उच्च रक्तचाप का ख़तरा भी रहता है। तो यदि जल्दी जगने के लिए आपको नींद में कटौती करनी पड़ रही है तो ऐसा न करें। सलास के पास ऐसे कई मरीज आते हैं जिन्होंने जवानी के दिनों में नींद में कटौती की थी। जब वे बड़े हुए, जीवनशैली बदली और उनके बच्चे हो गए तब मुश्किलें शुरू हो गईं।
इंग्लैंड के ल्यूटन में बेडफोर्डशायर यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर गेल किनमैन का कहना है कि यदि आप सुबह जल्दी शुरुआत करते हैं तो आपको काम जल्दी ख़त्म भी करना होगा। इस तरह कोई वास्तविक लाभ नहीं हो रहा।
किनमैन को लगता है कि हाई प्रोफाइल कारोबारी जो सुबह जग जाते हैं, देर तक ऑफिस में रहते हैं या रात में भी ईमेल पर उपलब्ध रहते हैं, वे अपना नुकसान कर रहे हैं। सुबह जल्दी उठने के बारे में किसी सीईओ का डींग मारना बहुत बुरा हो सकता है। न्यूयॉर्क टाइम्स ने हाल ही में "Performative Workaholism" नामक शब्द का ईजाद किया है। यह उनके लिए है जो जल्दी उठने और देर तक काम करने का ढिंढोरा पीटते हैं। असल में यह अच्छी मिसाल नहीं है। किनमैन कहती हैं, "सीईओ कर्मचारियों के लिए रोल मॉडल होते हैं। उनके इस तरह के व्यवहार को वांछनीय के रूप में देखना गैरजिम्मेदाराना है।"
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