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"बस कंडक्टर" से " स्टाइलिश सुपरस्टार रजनीकांत" तक का सफर

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दक्षिण भारतीय और बॉलीवुड के जानेमाने अभिनेता सुपरस्टार रजनीकांत का जन्म 12 दिसंबर 1950 को कर्नाटक के बेंगलुरु में एक मराठा परिवार में हूआ था| उनके बचपन का नाम शिवाजी राव गायकवाड़ था| उनके पिता रामोजी राव एक हवलदार थे| रजनीकांत के दो छोटे भाई और एक बहन है। जब वह पांच साल के थे, उनकी मां जीजाबाई का देहांत हो गया। उसके बाद उनके ऊपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। मां की मौत के बाद अपनी बदली जीवनशैली में उन्हें अपने समुदाय में कुली का काम करना पड़ा। कुलीगिरी करते हुए शुरुआती शिक्षा उन्होंने आचार्य पाठशाला में पाई और उच्च शिक्षा रामकिशन मिशन में हासिल की। संघर्ष के दिनों में रजनीकांत ने बेंगलुरू में मैसूर मशीनरी में भी कुछ दिन काम किया और चावल के बोरे ट्रकों में लादने का भी काम किया जिसके लिए उन्हें 10 पैसे प्रति बोरा मिलता था। 1966 से 1973 के बीच उन्होंने चेन्नई से लेकर बेंगलुरु तक कई नौकरियां कीं। इसके बाद उन्हें बेंगलुरु ट्रांसपोर्ट सर्विस में बस कंडक्टर की नौकरी मिल गई। फिर शुरू हुई थियेटर की ज़िंदगी। उन्हें थियेटर में पहला मौका मशहूर नाट्य लेखक और निदेशक टोपी मुनिअप्पा ने दिया। महाभारत की कथा पर आधारित एक नाटक में उन्होंने उन्हें दुर्योधन का रोल दिया। उनका अभिनय सराहा गया। इस दौरान उनके सहकर्मी राज बहादुर ने उन्हें मद्रास फ़िल्म इंस्टिट्यूट जॉइन करने की सलाह दी। पढ़ाई का सारा खर्चा उन्होंने उठाया। नाटकों में अभिनय के दौरान मशहूर फ़िल्म निदेशक के. बालचंदर की नजर उन पर गई। बालचंदर ने उन्हें तमिल सीखने और बोलने की सलाह दी। रजनीकांत ने उनकी सलाह मान ली और बाद में तमिल उनके करियर में सहायक हुई। फ़िल्म इंस्टिट्यूट की ट्रेनिंग के बाद उनकी फ़िल्मी गाड़ी चल निकली। रजनीकांत ने फ़िल्मों की दुनियां में 1975 में प्रवेश किया तब वह महज 25 वर्ष के थे और उनकी पहली फ़िल्म रागंगल थी।

 

जिसमें कमल हासन ने भी एक्टिंग की थी। इस फ़िल्म का निर्देशन किया था के बालचंदर ने। इस फ़िल्म में रजनी को बहुत ही छोटा सा किरदार निभाने को दिया गया था। इस फ़िल्म को बेस्ट तमिल फ़िल्म के लिए नॉमिनेट किया गया था और फ़िल्म ने उस अवॉर्ड को जीता भी। रजनीकांत निर्देशक बालचंदर को हमेशा अपना मेंटर मानते रहे। बॉलीवुड में रजनीकांत ने अंधा कानून फ़िल्म से एंट्री की थी। इस फ़िल्म में अमिताभ बच्चन मेन लीड हीरो थे और उनके साथ थीं हेमा मालिनी। ये फ़िल्म उस साल की सबसे बड़ी हिट थी और इसने बॉक्स ऑफिस पर काफ़ी कमाई की थी। उसके बाद रजनी ने हम, फ़िल्म की जो की काफ़ी हिट रही। मार्च 2011 में रजनीकांत को हेल्थ से जुड़ी कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। रजनी की तबियत कुछ समय तक काफ़ी खराब रही और उस वक्त टीवी चैनल्स के द्वारा रिसर्च में पता चला कि रजनीकांत डेड गूगल पर सबसे ज्यादा सर्च किया जाने वाला टर्म और ट्विटर का सबसे टॉप का ट्रेंड था। तबियत खराब होने के बावजूद रजनीकांत 2011 में ही रिलीज हुई शाहरुख खान की फ़िल्म रा.वन में नज़र आए 2010 में रजनीकांत और ऐश्वर्या राय की फ़िल्म रोबोट रिलीज हुई थी जो की रजनी की तमिल फिक्शन फ़िल्म एंथिरन का हिन्दी वर्जन थी। लता उनकी जीवनसंगिनी बनीं। उनकी दो बेटियां ऐश्वर्या और सौन्दर्या हैं। ऐश्वर्या की शादी एक्टर धनुष से हुई है और सौन्दर्या की शादी आश्विन रामकुमार के साथ हुई है |

 

उनके अभिनय की वजह से इस फ़िल्म ने काफ़ी नाम कमाया और धीरे-धीरे इस कंडक्टर ने अपने सिगरेट पीने और चश्में पहनने की स्टाइल की वजह से तमिल फ़िल्मों में तूफान खड़ा कर दिया। तब से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा उस समय रजनीकांत को गिने-चुने खलनायकों के रुप जाना जाता था।

 

फ़िल्म समीक्षक नमन रामचंद्रन ने रजनीकांत की जीवनी को किताब की शक्ल दी है जिसमें 1975 में उनकी पहली फ़िल्म अपूर्व रगंगल से लेकर हिंदी फ़िल्मों अंधा कानून और हम तक के उनके सफर और बिल्ला, थलपति और अन्नामलाई जैसी उनके अंदाज वाली फ़िल्मों से बाशा, मुथू, शिवाजी और एंथिरन तक की यात्रा का वृतांत लिखा है। रजनीकांत : द डेफिनिटिव बायोग्राफी में रजनी के बचपन के दिनों से लेकर उनके जीवन के संघर्ष के दिनों को भी बयां किया गया है जब शिवाजी राव गायकवाड़ नाम का यह शख्स बस कंडक्टर के कैरियर के बाद फ़िल्मों का सुपरस्टार बना और लोगों के बीच रजनीकांत नाम से मशहूर हो गया। पेंगुइन द्वारा प्रकाशित इस किताब के अनुसार बस यात्रियों को टिकट देने में रजनीकांत से तेज कोई नहीं था। वह अपने अंदाज में मुसाफिरों को टिकट देते थे और खुले पैसे देते थे। उनके मशहूर अंदाज के चलते ही लोग उनकी बस का इंतज़ार करते थे और सामने से अनेक बसें ख़ाली जाने देते थे। रजनी का यही अंदाज बाद में फ़िल्मों में भी उनकी लोकप्रियता का कारक बना जहां उनके संवाद भी मशहूर हुए। सन् 2000 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म भुषण से सम्मानित किया था और 2016 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया था। 2014 में हुए 45 वे भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म फेस्टिवल में उन्हें इंडियन फ़िल्म पर्सनालिटी ऑफ़ द इयर का सम्मान दिया गया था।

रजनी ने अपने बस कंडक्टर के दिनों को याद करते हुए बयां किया है, मैं साधारण इंसान हूं। बस कंडक्टर से पहले मैं दफ्तर में काम करता था, कुली था और बढ़ई का काम कर चुका था। बीटीएस पर रजनीकांत की मुलाकात राजा बहादुर से हुई जिसे वह आज अपना सबसे अच्छा दोस्त बताते हैं। किताब के पन्ने पलटते हुए पता चलेगा कि बस सेवा समाप्त होने के बाद रजनी और राजा अपने अपने घर जाकर थोड़ी देर आराम करते थे। इसके बाद रजनीकांत हर शाम हनुमंत नगर में राजा के घर पहुंचते और दोनों नाटकों के अभ्यास के लिए निकल जाते जिनका आयोजन वे समय-समय पर बीटीएस संघ के बैनर तले करते थे। दिवंगत रंगकर्मी और अभिनेता शिवाजी गणेशन को याद करते हुए रजनीकांत कहते हैं, मैंने उन्हें देखा, उनकी नकल उतारी। उनकी वजह से मैं सिनेमा जगत में आया। रजनीकांत के जीवन की ऐसी अनेक रोचक कहानियां इस किताब में पढ़ने को मिल जाएंगी।

 

तमिल फ़िल्मों के सुपर स्टार और भगवान माने जाने वाले अभिनेता रजनीकांत अबसी बी एस ई (CBSE) के कक्षा 6 की किताबों में पढ़े जायेंगे। जिसमें उनकी बस कंडक्टर से लेकर एक महानतम अभिनेता बनने तक का सफर है। जो बच्चों को यह सिखायेगा कि अपनी मेहनत और योग्यता के बल पर आदमी फर्श से अर्श पर पहुंच सकता है बस आदमी को कड़ी मेहनत और दृढंसंकल्पी होना चाहिए। CBSE के कक्षा 6 के बच्चों में रजनीकांत का चैप्टर पढ़ाया जायेगा जिसे लिखा है रजनीकांत के उस फैन और मित्र ने जिनका नाम है राव बहादुर। जो उस बस के ड्राईवर हुआ करते थे जिस बस के कंडक्टर रजनीकांत थे। चैप्टर का नाम है 'From Bus Conductor to Superstar'। इस पाठ को पढ़ाने का यही उद्देश्य है कि बिना किसी गॉडफादर की मदद से कोई भी व्यक्ति आम से ख़ास हो सकता है। बोर्ड को लगता है कि रजनीकांत की कहानी आने वाली पीढ़ी के लिए एक आदर्श बनेंगी। इस पाठ में केवल रजनीकांत के संघर्ष की ही कहानी नहीं है बल्कि उनकी दयालुता, उनके प्रेम और सदाचार का भी वर्णन किया गया है। उनकी देश के प्रति समर्पण और इतनी ऊंची जगह पहुंचकर भी एकदम से सरल होना भी पाठ में बताया गया है।

 

उन्होंने कई कमर्शियल रूप से सफल फिल्मो में बतौर मुख्य कलाकार काम किया है। तभी से लोग उन्हें सुपरस्टार कहने लगे और वे तमिलनाडु के सबसे प्रसिद्ध शख्सियत बन गए। फिल्मो में डायलॉग बोलने का उनका अपना ही एक अलग अंदाज़ है, देश ही नही बल्कि विदेशो में भी लोग उनकी आवाज़ और उनके स्टाइल के दीवाने है।

 

वह एक ऐसे अभिनेता थे जिनमें शुरुआत से लेकर शोहरत की बुलंदियां छूने तक विनम्रता दिखती है| रजनीकांत की लोकप्रियता को शब्दों में नहीं आंका जा सकता। सुपर स्टार रजनीकांत जिन्हें लोग भगवान की तरह पूजते हैं। अपने बेमिसाल और अनोखे अंदाज की वजह से तमिल क्षेत्र का यह सुपरस्टार पूरे भारतवर्ष में प्रसिद्ध हो गया। इसके बाद उन्होंने एक-एक करके तमिल और हिन्दी सिनेमा मे ऐसी यादगार फ़िल्में दीं जिसने दर्शकों के मस्तिष्क पर गहरी छाप छोड़ी।

 

रजनीकांत अक्सर ही हिमालय की गोद में जाकर वहां के छोटे-छोटे गाँवों में रहते हैं| वे कहते हैं कि वे अपनी हर फिल्म के बाद हिमालय आते हैं| यहां आकर उनके दिल को शांति मिलती है| अगर कभी रजनीकांत की फिल्म पर्दे पर अच्छा काम नहीं करती तो वे वितरकों को अपनी जेब से पैसा लौटाते हैं| इसके अलावा इसका सारा दोष भी खुद पर ले लेते हैं| रजनीकांत की ये खासियत है कि वो कभी किसी को इंतज़ार नहीं करवाते, फिर भले ही वो शूट का मामला हो या किसी इवेंट का, रजनी टाइम पर पहुंच जाते हैं| किसी शूट या इवेंट के दौरान भी रजनी अपनी कार खुद ही चलाना पसंद करते हैं| रजनीकांत के पास पैसे की कोई कमी नहीं, पर फिर भी उन्होंने अपने पुराने कपड़ों, कार और दूसरी चीज़ों को सम्भाल कर रखा है. वो चीजों की कीमत जानते हैं| रजनीकांत को पढ़ने का भी बहुत शौक है. वे अक्सर धर्म, अध्यात्म और साइंस आदि से संबंधित किताबें पढ़ते हैं|

 

उसके अलावा रजनीकांत के  दानशीलता के किस्से कंही भी छुपे हुए नहीं है क्योंकि असल में उनकी बायोग्राफी लिखने वाले  लता रंगाचारी ने इस बारे में बात की है कि रजनी कभी नहीं चाहते कि उनके द्वारा की जाने वाली डोनेशन कभी पब्लिक गॉसिप का हिस्सा बने सो उन्होंने कभी इस बारे में खुलकर बात नहीं की लेकिन ऐसा माना जाता है कि रजनी अपनी आधी से ज्यादा कमाई को दान और सामाजिक कार्यों में खर्च कर देते है | शायद यही वजह है कि यह एक्टर इतना महान है और लोगो को इतना लगाव इनसे है |

 

रजनीकांत आज इतने बड़े सुपर सितारे होने के बावजूद ज़मीन से जुड़े हुए हैं| वे फिल्मों के बाहर असल जिंदगी में एक सामान्य व्यक्ति की तरह ही दिखते है| वे दूसरे सफल लोगों से विपरीत असल जिंदगी में धोती-कुर्ता पहनते है| शायद इसीलिए उनके प्रशंसक उन्हें प्यार ही नहीं करते बल्कि उनको पूजते हैं| रजनीकांत के बारे में ये बात जगजाहिर है कि उनके पास कोई भी व्यक्ति मदद मांगने आता है वे उसे खाली हाथ नहीं भेजते| रजनीकांत कितने प्रिय सितारे हैं, इस बात का पता इसी से लगाया जा सकता है कि दक्षिण में उनके नाम से उनके प्रशंशकों ने एक मंदिर बनाया है| इस तरह का प्यार और सत्कार शायद ही दुनिया के किसी सितारे को मिला हो| 


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