Visitors online: 002

जानिए वैज्ञानिक होमी जहाँगीर भाभा के बारे में

Home » Knowlege Box

डॉ. होमी जहाँगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 को मुंबई के एक पारसी परिवार में हुआ था।उनके पिता जहांगीर भाभा ने कैंब्रिज से शिक्षा प्राप्त की थी और एक जाने-माने वकील थे और माता भी उच्च घराने से थी ।बालक होमी के लिए पुस्तकालय की व्यवस्था घर पर ही कर दी गई थी जहाँ वे विज्ञान तथा अन्य विषयों से संबन्धित पुस्तकों का अध्ययन करते थे। 
 
उनकी प्रारंभिक शिक्षा कैथरैडल स्कूल में हुई और फिर आगे की शिक्षा के लिए जॉन केनन में पढने गये। शुरुआत से ही उनकी अत्यधिक रूचि भौतिक विज्ञानं और गणित में थी। इसके बाद होमी ने एल्फिस्टन कॉलेज मुंबई और रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से बीएससी की परीक्षा पास की। वर्ष 1927 में वो इंग्लैंड चले गए जहाँ उन्होंने कैंब्रिज में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। वहां उन्होंने सन् 1930 में स्नातक की उपाधि अर्जित की और सन् 1934 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से ही उन्होंने डाक्टरेट की उपाधि भी प्राप्त की। 
 
होमी जहांगीर भाभा भारत के एक प्रमुख वैज्ञानिक थे। जिन्होंने भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की कल्पना की थी। उन्होने कुछ वैज्ञानिकों  की सहायता से मार्च 1944 में नाभिकीय उर्जा पर अनुसन्धान आरम्भ किया। उन्होंने नाभिकीय विज्ञान में तब कार्य आरम्भ किया जब अविछिन्न शृंखला अभिक्रिया का ज्ञान नहीं के बराबर था और नाभिकीय उर्जा से विद्युत उत्पादन की कल्पना को कोई मानने को तैयार नहीं था। 
 
होमी जहांगीर भाभा का Сटाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ फंडामेंटल रिसर्चТ (टीआइएफआर) और भाभा एटॉमिक रिसर्च सेण्टर के स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान था। वो भारत के Сएटॉमिक एनर्जी कमीशनТ के पहले अध्यक्ष भी थे। वे ललित कला व संगीत के उत्कृष्ट प्रेमी तथा लोकोपकारी थे। 
 
डॉ. होमी जहाँगीर भाभा ने इंडियन स्कूल आफ साइंस बैंगलोर में कॉस्मिक किरणों की खोज के लिए एक अलग विभाग की स्थापना की। वर्ष 1941 में डॉ भाभा को रॉयल सोसाइटी का सदस्य चुना गया था।
 
देश आजाद हुआ तो होमी जहांगीर भाभा ने दुनिया भर में काम कर रहे भारतीय वैज्ञानिकों से अपील की कि वे भारत लौट आएं। उनकी अपील का असर हुआ और कुछ वैज्ञानिक भारत लौटे भी। इन्हीं में एक थे मैनचेस्टर की इंपीरियल कैमिकल कंपनी में काम करने वाले होमी नौशेरवांजी सेठना। अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाले सेठना में भाभा को काफी संभावनाएं दिखाई दीं। ये दोनों वैज्ञानिक भारत को परमाणु शक्ति संपन्न बनाने के अपने कार्यक्रम में जुट गए। यह कार्यक्रम मूल रूप से डॉ. भाभा की ही देन था, लेकिन यह सेठना ही थे, जिनकी वजह से डॉ. भाभा के निधन के बावजूद न तो यह कार्यक्रम रुका और न ही इसमें कोई बाधा आई।
 
उनकी इसी लगन का नतीजा था कि 1974 में सेठना ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को बताया कि उन्होंने शांतिपूर्ण परमाणु विस्फोट की तैयारियां पूरी कर ली है। यह भी पूछा कि क्या वे इस सिस्टम को शुरू कर सकते हैं? इसके साथ ही उन्होंने यह भी बता दिया कि एक बार सिस्टम शुरू होने के बाद इसे रोकना संभव नहीं होगा, ऐसे में अगर वे मना कर देंगी तो उसे नहीं सुना जा सकेगा क्योंकि तब विस्फोट होकर ही रहेगा। इंदिरा गांधी की हरी झंडी मिलते ही तैयारियां शुरू हो गई। अगले ही दिन, 18 मई को सेठना ने कोड वर्ड में इंदिरा गांधी को संदेश भेजा- बुद्ध मुस्कराए। भारत का यह परमाणु विस्फोट इतना गोपनीय था कि अमेरिका के संवेदनशील उपग्रह तक उसकी थाह नहीं पा सके थे। इस विस्फोट से कुछ महाशक्तियां और पड़ोसी देश जरूर बैचेन हुए। लेकिन डॉ़ सेठना की सोच बिल्कुल स्पष्ट थी कि हमारा देश परमाणु शक्ति संपंन्न हो। वे नहीं चाहते थे कि भारत अपने आगे बढ़ने की राह समझौतों से बनाए।
 
डॉ़ होमी भाभा ने केरल के अलवाए स्थित इंडियन रेयर अर्थ्स लिमिटेड का प्रमुख  बनाया था ,जहां उन्हाने मोनोज़ाइट रेत से दुर्लभ नाभिकीय पदार्थो के अंश निकाले। 
 
डॉ़ होमी भाभा ने भारत में इस तरह से उन्होंने कई उपलब्धियॉ हासिल करी ।डॉ़ होमी भाभा का 24 जनवरी,1966 में एक विमान दुर्घटना में निधन हो गया था। 

 


рдиреНрдпреВрдЬрд╝рдкреЗрдкрд░ рдореЗрдВ рджрд┐рдпрд╛ рдЧрдпрд╛ рдЬреЙрдм рдХреЛрдб рджрд┐рдП рдЧрдП    Textbox рдореЗрдВ рджрд░реНрдЬ рдХрд░реЗ рдФрд░ рдЬреЙрдм рд╕рд░реНрдЪ рдХрд░реЗ



Quick Links