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जानिए वैज्ञानिक सत्येन्द्रनाथ बोस के बारे में

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सत्येन्द्रनाथ बोस का जन्म 1 जनवरी 1894  कोलकाता में हुआ था।सत्येन्द्रनाथ बोस की आरंभिक शिक्षा एक साधारण स्कूल में हुई थी,उसके बाद सत्येन्द्रनाथ बोस ने 'प्रेसिडेंसी कॉलेज' में प्रवेश लिया। सत्येंद्र नाथ बोस ने सन् 1913 में बी. एस. सी. और सन् 1915 में एम. एस. सी. प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण किया।

सत्येन्द्रनाथ बोस भारत के प्रमुख वैज्ञानिक थे । 1921 में नव स्थापित ढाका विश्वविद्यालय में लेक्चरर का पद लेने के बाद उन्होंने भौतिकी और गणित विभाग में महत्वपूर्ण कार्य किये । यह समय भौतिक विज्ञानं में नई-नई खोजों का था। जर्मनी के भौतिकशास्त्री मैक्स प्लैंक ने क्वांटम सिद्धांत का प्रतिपादन किया था। जर्मनी में ही अल्बर्ट आइंस्टीन ने Уसापेक्षता का सिद्धांतФ प्रतिपादित किया था। सत्येन्द्रनाथ बोस इन सभी खोजों पर अध्ययन और अनुसन्धान कर रहे थे।यह समय भौतिक विज्ञानं में नई-नई खोजों का था। जर्मनी के भौतिकशास्त्री मैक्स प्लैंक ने क्वांटम सिद्धांत का प्रतिपादन किया था। जर्मनी में ही अल्बर्ट आइंस्टीन ने Уसापेक्षता का सिद्धांतФ प्रतिपादित किया था। सत्येन्द्रनाथ बोस इन सभी खोजों पर अध्ययन और अनुसन्धान कर रहे थे।
 
सत्येन्द्रनाथ बोस ने Уप्लैंकТस लॉ एण्ड लाइट क्वांटमФ नाम का एक शोधपत्र लिखा और उसको ब्रिटिश जर्नल में छपने के लिए भेजा जिसे वहां के संपादकमंडल ने अस्वीकृत कर दिया। इसके बाद उन्होंने उसे सीधे महान वैज्ञानिक आइंस्टीन को भेज दिया। आइन्स्टीन ने इसके अहमियत को समझा और कहा कि यह पत्र गणित के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान है और उसका जर्मन भाषा में अनुवाद कर Сजीट फर फिजिकТ नामक जर्नल में प्रकाशित कराया। इसके बाद दोनों महान वैज्ञानिकों ने अनेक सिद्धांतों पर साथ-साथ कार्य किया। सत्येन्द्रनाथ बोस ने भौतिक विज्ञानं में विशेष प्रकार के कण की स्थापना करी जो बोसान के नाम से प्रसिद्ध हुआ । बोस तथा आइंस्टीन ने मिलकर बोस-आइंस्टीन स्टैटिस्टिक्स की खोज की। 
 
इसके बाद बोस सन 1924 से लेकर 1926 तक यूरोप के दौरे पर रहे जहाँ उन्होंने मेरी क्यूरी, पौली, हाइज़ेन्बर्ग और प्लैंक जैसे वैज्ञानिकों के साथ कार्य किया। सन् 1945 में कोलकाता वापस आकर कलकत्ता विश्वविद्यालय में भौतिकी के प्रोफेसर पद पर नियुक्त हो गए और फिर वर्ष 1956 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त होकर शांतिनिकेतन चले गए। शान्तिनिकेतन में वो ज्यादा नहीं रुक पाए और 1958 में उन्हें कलकत्ता वापस लौटना पड़ा। इसी वर्ष उन्हें रॉयल सोसायटी का फैलो चुना गया और राष्ट्रीय प्रोफेसर नियुक्त किया गया। भारत सरकार ने उनके उत्कृष्ट उपलब्धि हो ध्यान में रखते हुए उन्हें Сपद्म भूषणТ से सम्मानित किया। सत्येन्द्रनाथ बोस का निधन 4 फ़रवरी 1974 में हुआ ।


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