Visitors online: 001

जानिए धीरुभाई अंबानी का रिलायंस उद्योग उचाईयों तक पहुँचाने तक का सफर

Home » Knowlege Box

धीरजलाल हीरालाल अंबानी जिन्हें धीरुभाई के नाम से जाना जाता है | धीरूभाई अंबानी का जन्म 28 दिसंबर 1933 को सौराष्ट्र के जूनागढ़ जिले में हुआ था। इनका पूरा नाम धीरजलाल हीराचंद अंबानी था। धीरूभाई ने जब बिज़नेस की दुनिया में कदम रखा तो न उनके पास पुश्तैनी संपत्ति थी और न ही बैंक बैलेंस। उनके पिता हीराचंद एक प्राइमरी स्कूल में अध्यापक थे। धीरूभाई के निधन के बाद उनकी संपत्ति बंटवारे में उनकी पत्नी कोकिलाबेन ने ही मुख्य भूमिका अदा की थी।

पांच भाई-बहनों में धीरूभाई तीसरे नंबर के थे। परिवार की पांच संतानों में रमणिकलाल, नटवर लाल, धीरूभाई और दो बहनें त्रिलोचना और जसुमती शामिल हैं। आर्थिक तंगी के कारण धीरूभाई को हाईस्कूल के बाद ही पढ़ाई छोड़ना पड़ गई। धीरूभाई ने बालपन में ही घर की आर्थिक मदद करनी शुरू कर दी थी। इस समय वे गिरनार के पास भजिए की दुकान लगाया करते थे, दुकान की आय यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या पर सीमित थी।

धीरूभाई की पहली जॉब की बात करें तो 1949 में 17 वर्ष की उम्र में काबोटा नामक शिप से वे यमन के एडेन शहर पहुंचे थे। यहां उनके बड़े भाई रमणिकलाल ने उनके लिए सारी व्यवस्थाएं कर रखी थीं, इसलिए उन्हें विदेश में जॉब मिलने में कोई परेशानी नहीं हुई। लेकिन धीरूभाई के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था। इसलिए 1954 में वे वतन वापस आ गए। सन् 1955 में जेब में 500 रुपए रखकर किस्मत आजमाने मुंबई पहुंच गए। और यहीं से शुरू हुई उनकी व्यावसायिक यात्रा। यहां से धीरूभाई अंबानी ने ऐसे कदम बढ़ाए कि फिर कभी पीछे पलटकर नहीं देखा। उनका नाम देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध हुआ। उनके पिता एक स्कूल में शिक्षक थे. धीरूभाई अंबानी सप्ताहांत पर माउंट गिरनार में तीर्थयात्रियों के लिए भाजी बेचकर अपनी उद्यमशीलता कैरियर शुरू किया है |

उन्होंने 1966 में रिलायंस इंडस्ट्रीज की स्थापना की है समय के साथ वह अतिरिक्त दूरसंचार,सूचना प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, बिजली, रिटेल, कपड़ा, बुनियादी सेवाओं, पूंजी बाजार, और रसद के साथ पेट्रोरसायन में एक प्रमुख विशेषज्ञता है | आज कंपनी के 85,000 से अधिक कर्मचारियों शामिल है और भारत की केन्द्रीय सरकार को कुल कर राजस्व का लगभग 5 प्रतिशत की प्रदाता मिलती है |

धीरुभाई अंबानी को इक्विटी कल्ट/सामान्य शेयर को भारत में प्रारम्भ करने का श्रेय भी दिया जाता है। भारत के विभिन्न भागों से 58,000 से ज्यादा निवेशकों ने 1977 में रिलायंस के आईपीओ (IPO) की सदस्यता ग्रहण की. धीरुभाई गुजरात के ग्रामीण लोगों को आश्वस्त कर सके कि उनके कंपनी के शेयरधारक होने से उन्हें अपने निवेश पर केवल लाभ ही मिलेगा | रिलायंस इंडस्ट्रीज/रिलायंस उद्योग यह विशेषता रखता हैं कि यही एक ऐसा निजी क्षेत्र की कम्पनी है जिसके कई वार्षिक आम बैठकें स्टेडियम/मैदानों में हुई है। 1986 में, रिलायंस इंडस्ट्रीज/रिलायंस उद्योग की वार्षिक आम बैठक क्रॉस मैदान मुंबई में की गई जिसमे 35,000 शेयरधारकों और रिलायंस के परिवार ने भाग लिया। धीरुभाई बड़ी संख्या में प्रथम खुदरा निवेशकों को संतुष्ट कर सके की वे रिलायंस की कहानी को जाहिर/स्थापित करने के लिए भाग लें और मेहनत से कमाए गए पैसे को रिलायंस टेक्सटाइल आईपीओ में लगायें, यह वादा करते हुए कि उनके विशवास के बदले उनके निवेश पर उन्हें पुख्ता मुनाफा मिलेगा | 1980 तक अंबानी की कुल राशि को 1 बिलियन रुपयों तक आँका गया।

गत 6 जुलाई 2002 को धीरूभाई अंबानी ने दुनिया से विदा ली। इस समय वे 62000 करोड़ रुपए के मालिक थे। वर्तमान में उनके बेटे मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी उनकी सल्तनत को संभाले हुए हैं। पिता की तरह आज इन दोनों भाईयों का नाम भी अंतरराष्ट्रीय स्तर के व्यवसायियों में शुमार है।

भारत के एक चिथड़े से धनी व्यावसायिक टाइकून बनने की कहानी है जिन्होनें रिलायंस उद्योग की स्थापना मुम्बई में अपने चचेरे भाई के साथ की। अंबानी ने अपनी कंपनी रिलायंस को 1977 में सार्वजानिक क्षेत्र में सम्मिलित किया और 2007 तक परिवार (बेटे अनिल और मुकेश) की सयुंक्त धनराशी 100 अरब डॉलर थी, जिसने अम्बानियों को विश्व के धनी परिवारों में से एक बना दिया।

धीरुभाई अंबानी ने अपनी लम्बी यात्रा बॉम्बे के मूलजी-जेठा कपड़े के बाज़ार से एक छोटे व्यापारी के रूप में शुरू की. इस महान व्यवसायी के आदर के सूचक/चिह्न के रूप में, मुंबई टेक्सटाइल मर्चेंट्स' ने 8 जुलाई (July 8) 2002 को बाज़ार बंद रखने का फैसला किया/निर्णय लिया। धीरुभाई के मरने के समय, रिल्यांस समूह की सालाना राशि रूपये (Rs.) 75,000 करोड़ या USD $ 15 बिलियन. 1976-77, रिल्यांस समूह की सालाना राशि 70 करोड़ रूपये थे और ये याद रखा जाना चाहिए की धीरुभाई ने ये व्यवसाय केवल 15, 000(US$350) रूपये (Rs.) से शुरू की थी।

"हमारे स्वप्न विशाल होने चाहिए , हमारी महत्त्वाकांक्षा ऊँची होनी चाहिए , हमारी प्रतिबद्धता गहरी होनी चाहिए और हमारे प्रयत्न बड़े होने चाहिए , रिलायंस और भारत के लिए यही मेरा सपना है |" - धीरुभाई अंबानी


न्यूज़पेपर में दिया गया जॉब कोड दिए गए    Textbox में दर्ज करे और जॉब सर्च करे



Quick Links