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| एलोपेशीया एक गंजेपन की बीमारी है। यह ऑटोइम्युन डिज़ीज है जिसमें इंसान का इम्युन सिस्टम खुद उसके शरीर पर अटैक करता है। इससे बाल जड़ से उखड़ने लगते हैं। एलोपेशिया एरेटा एक छुआछूत की बीमारी नहीं हैं। ये उन लोगों में ज्यादा पाया जाता हैं जिनके परिवार के सदस्यों को ये पहले हुआ हैं। इस रोग के होने के कारण में आनुवंशिकता एक प्रमुख कारक हैं इसके अतिरिक्त उन लोगों को ज्यादा खतरा होता हैं जिनके रिश्तेदार ऑटोइम्यून रोग से पीड़ित हैं। एलोपेशिया एरेटा को "स्पॉट बाल्डनेस" के नाम से भी जाना जाता है | क्योकि इस रोग से पीड़ित व्यक्ति के बाल वाले हिस्से पर छोटे गोल या अंडाकार स्पॉट बन जाते है | हेयर लॉस के लिए कई कारण जिम्मेदार है जैसे:- ऐजिंग, जेनेटिक्स, मेडिकल कारण जैसे कीमोथैरेपी, पोषण आहार की कमी, आटोइम्यून डिसआर्डर इत्यादि | इसमें कई बार जब बाल झड़ते है तो हमेशा के लिए नहीं झड़ते | इसमें बाल वापस आने की सम्भावना होती है | 6 महीने या 1 साल के भीतर वापस नए बाल आ जाते है पर अब ये बाल सफ़ेद या भूरे रंग के होते है | लम्बाई में थोड़े कम और पतले होते है | 10% लोगो के केस में यह होता है की बाल वापस जाने के बाद नहीं आते पर ज्यादातर लोगो में बाल वापस उगने की सम्भावना होती है | ये 10% लोग वही होते है जिन्हे ये बीमारी आनुवंशिकता, किसी एलर्जी, इम्यून डिसऑर्डर, स्मोकिंग करने, एक्स्टेन्सिव हेयर लॉस या कम उम्र से ही बाल झड़ने की वजह से होती है | एलोपेशिया की बीमारी कई तरह की होती है जिनमें से एक टाइप को एलोपेशिया एरेटा भी कहते हैं। एलोपेशीया कई प्रकार के होते है जैसे:-
एलोपेशिया एरेटा :- एलोपेशिया एरेटा के अंतर्गत सिर की त्वचा पर एक या एक से अधिक गोल धब्बे में बालों का झड़ना शामिल होता है | एलोपेशिया एरेटा मोनोलोकुलरिस :- एलोपेशिया एरेटा मोनोलोकुलरिस के अंतर्गत सिर के बाल एक जगह पर झड़ जाते हैं। यह सिर में कही पर भी हो सकता हैं। एलोपेशिया एरेटा ऑफ़िसीस :- एलोपेशिया एरेटा ऑफ़िसीस के अंतर्गत सिर की परिधि में एक लहर के आकार में बालों का झड़ना शामिल होता है | एलोपेशिया एरेटा बारबै :- एलोपेशिया एरेटा बारबै के अंतर्गत पुरुष की दाढ़ी में कुछ पेच या गोल धब्बे में बालों का झड़ना शामिल होता है | यह एलोपेशिया, दाढ़ी तक ही सिमित रहता है | एलोपेशिया एरेटा टोटलिस :- एलोपेशिया एरेटा टोटलिस के अंतर्गत मनुष्य अपने सर के सभी बाल खो देता है | एलोपेशिया यूनिवर्सलिस :-एलोपेशिया यूनिवर्सलिस एक गम्भीर बीमारी है, इसमें मनुष्य अपने सम्पूर्ण शरीर के बाल (जननांग के भी) खो देता है | एंड्रोजेनेटिक ऐलोपेशिया: इस प्रकार का हेयर फॉल इनहेरिटड यानि वंशानुगत होता है| 60 प्रतिशत पुरूष इससे ग्रस्त होते हैं| इस से होने वाला हेयर लॉस पूर्ण रूप से स्थायी होता है| पुरूषों में होने वाले हेयर लॉस को Сमेल पैट्रन हेयर लॉस व महिलाओं में होने वाले हेयर लॉस को Сफीमेल डिफयूज हेयर लॉसТ कहा जाता है| इस किस्म के गंजेपन के लिए मुख्यत: टेस्टोस्टेरॉन नामक हारमोन संबंधी बदलाव और आनुवंशिकता जिम्मेदार होती है। ट्रैक्शन एलोपेसिया - यह लंबे समय तक एक ही ढंग से बाल के खिंचे रहने के कारण होता है। जैसे, कोई खास तरह से हेयरस्टाइल या चोटी रखना। लेकिन हेयरस्टाइल बदल देने यानी बाल के खिंचाव को खत्म कर देने के बाद इसमें बालों का झड़ना रुक जाता है। एलोपेशीया के लक्षण इसका पहला प्रमुख लक्षण छोटे बाल रहित क्षेत्रों का होना हैं। यह धब्बे कई आकार में हो सकते हैं लेकिन ज्यादातर गोल या अंडाकार आकर के ही होते हैं। एलोपेशिया एरेटा, सबसे अधिक सिर की त्वचा और दाढ़ी को प्रभावित करता है लेकिन ये शरीर के उस हिस्से पर भी हो सकते हैं जहाँ पर अमूमन बाल उगते हैं। यह रोग कुछ समय बाद अपने आप ख़त्म भी हो सकता हैं या फिर स्थायी भी हो सकता है। यह रोग बच्चों में आम है| बालों के झड़ने वाले क्षेत्र में झुनझुनाहट या हल्का दर्द महसूस हो सकता हैं एवं सारे बाल थोड़े ही समय के अंतराल में झड़ जाते हैं। सामान्यता जब स्वस्थ बालों को खींचा जाता हैं तो बहुत कम ही बाल उखड़ते हैं लेकिन जब एलोपेशिया एरेटा से पीड़ित व्यक्ति के बालों को खींचा जाता हैं तो बहुत सारे बाल जड़ से निकल आते हैं। इसमें बाल कभी कभी वापस बढ़ते है और फिर झड़ते है | एलोपेशिया एरेटा को पहचानने में ट्रिचोस्कोपी सहायक सिद्ध होता हैं। ट्रिचोस्कोपी में पीले धब्बे, छोटे ऐक्सक्लामेशन चिन्हित बाल एवं काले धब्बों का पता चलता हैं। एलोपेशिया एरेटा के उपचार 1. केश प्रत्यारोपण (हेयर ट्रांसप्लांटेशन) इसके तहत सिर के उन हिस्सों, जहां बाल अब भी सामान्य रूप से उग रहे होते है, से केश-ग्रंथियां लेकर उन्हें गंजेपन से प्रभावित हिस्सों में ट्रांसप्लांट किया जाता है। इसमें त्वचा संबंधी संक्रमण का खतरा बहुत कम होता है और उन हिस्सों में कोई नुकसान होने की संभावना कम होती है जहां से केश-ग्रंथियां ली जाती है। 2. दवाओं के इस्तेमाल से माइनोक्सिडिल नामक दवा का इस्तेमाल कम बाल वाले हिस्सों पर रोज करने से बाल गिरना रुक जाता है तथा नये बाल उगने लगते हैं। यह दवा रक्त वाहिनियों को सशक्त बनाती है जिससे प्रभावित हिस्सों में रक्तसंचार और हारमोन की आपूर्ति बढ़ जाती है और बाल गिरना बंद हो जाता है। एक और फाइनस्टराइड नामक दवा की एक टेबलेट रोज लेने से बालों का गिरना रुक जाता है तथा कई मामलों में नये बाल भी उगने लगते हैं। ये दवाएं बालों का गिरना कम तो कर सकती हैं पर अधिकांश मामलों में देखा गया है कि दवाएं लेना बंद कर देने से नये उगे बाल पुन: झड़ जाते हैं। इनसे खोपड़ी खुजलाने जैसे कुछ साइड इफेक्ट होना भी आम बात है। इनके अलावा, कोर्टिकोस्टराइड नामक एक इंजेक्शन भी है जो एलोपेसिया एरीटा के मामले में खोपड़ी की त्वचा में दी जाती है। यह उपचार आम तौर पर हर महीने दोहराया जाता है। कई बार डॉक्टर एलोपेसिया एरीटा के चलते अत्यधिक बाल गिरने पर कोर्टिकोस्टराइड टेबलेट खाने की सलाह भी देते हैं। 3. कॉस्मेटिक उपचार सिंथेटिक केश - गंजेपन से प्रभावित हिस्से को ढंकने के लिए विशेष रूप से निर्मित बालों का प्रयोग किया जा सकता है। यहां ध्यान देने की बात यह है कि इन बालों के नीचे की खोपड़ी को नियमित रूप से धोते रहना जरूरी है, इसमें किसी किस्म की कोताही नहीं बरती जानी चाहिए। एक और तरीका है कृत्रिम बालों की बुनाई कराना, जिसके तहत मौजूदा बालों के साथ कृत्रिम केशों की बुनाई की जाती है। यदि बाल कम झड़े है, तो उपचार की सम्भावना बनती हैं एवं बाल फिर उग सकते हैं। लेकिन जहाँ बाल ज्यादा झड़ चुके हैं तो वहाँ पे देखा गया हैं की अगर कर्टिको स्टेरॉयड्स क्लोबीटासोल और फ्लूओसिनोनाइड , कर्टिकोस्टेरॉइड इंजेक्शन्स या क्रीम से उपचार किया जाये तो भी सीमित लाभ ही प्राप्त होता हैं। ओरल कर्टिको स्टेरॉयड्स से बालों का भी झड़ना रुकता हैं, लेकिन ये दवा के प्रयोग की अवधी तक सीमित रहता हैं एवं इस दवा के हानि कारक प्रभाव भी होते हैं। एलोपेशिया हो जाने पर क्या करे हेयर फॉल की समस्या उत्पन्न होते ही किसी अच्छे डर्मेटोलॉजिस्ट को दिखा लें| जिससे सही समय पर समस्या का निदान हो जाए| चिकित्सक मेडिकल हिस्ट्री के आधार पर एंड्रोजेनेटिक ऐलोपेशिया डाइग्नोस करता है| यदि चिकित्सक को ऐलोपेशिया एरियाटा की समस्या का अंदेशा होता है, तो इसके लिए फ्लोरिसेंट एंटीन्यूकिलयर एंटीबाडी (एफएनए) टेस्ट की सहायता से डाइग्नोस किया जाता है| ऐलोपेशिया एरियाटा में मेडिसिन से ही हेयर फॉल की समस्या कम होने लगती है| मेल पैट्रन हेयर लॉस में पुरूषों के लिए सर्जरी, हेयर टांसप्लाट, स्कैल्प रिडेक्शन जैसे ट्रीटमेंट सबसे बेहतर माने गए हैं| पोषणयुक्त डाइट लेने से इम्यून सिस्टम बेहतर होता है. जिससे हेयर फाॅल की संम्भावना कम होती है| यदि समस्या हो ही गई है तब भी खानपान का ध्यान रखें और सप्लीमेंट जरूर लें| बायोटिन और मिनरल जरूर लें| यह बालों की वृद्धि में सहायक होते है| बायोटिन व जिंक का सेवन बच्चों में ऐलोपेशिया एरियाटा को रोकने में सहायक होता है| बायोटिन को नियमित रूप से अपनी डाइट में शामिल करें| यदि आप ऐलोपेशिया की समस्या से ग्रसित हैं तो आपको अपने बालों का और भी ध्यान रखना आवश्यक है| इसके लिए अपने सिर को ढककर रखें| चाहें तो बालों को कैप से भी कवर कर सकते हैं| जिससे बालों को कोई नुकसान न हो| यदि ऐलोपेशिया की समस्या नहीं है तो भी इन बातों का ध्यान अवश्य रखें| एलोपेशिया का घरेलु इलाज पौष्टिक खाना खाए: पोषण में असंतुलन, बाल के झड़ने का मुख्य कारण है। अनुपयुक्त भोजन से माइक्रोन्यूट्रीएंट और मैक्रोन्यूट्रींएंट तत्व की कमी होती है जिससे शरीर कमज़ोर होता है और बाल झड़ने लगता है। शरीर और बालों के स्वास्थ्य के लिए नीचे दी गई चीज़ों को अपने भोजन में सम्मिलित करें।
ख़ूब पानी पिएँ: शरीर में पानी नहीं है तो आपकी त्वचा और बालों के सेल बढ़ और पनप नहीं पाते हैं। अपने बालों को बढ़ने और स्वस्थ रखने के लिए और डीहाईड्रेशन (dehydration) से बचने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पिएँ। प्रतिदिन क़रीब 8 ग्लास पानी पिएँ और गरम मौसम या व्यायाम करते समय ज़्यादा पानी पिएँ। कैफ़ीन युक्त पेय जैसे कौफ़ी, चाय, और सोडा शरीर में पानी की कमी कर, डीहाईड्रेशन पैदा करता है, जिससे शरीर में पानी का असंतुलन हो जाता है। पानी पिएँ, फीकी चाय और फलों के रस का सेवन करें और कैफ़ीन युक्त पेय से दूर रहें। आलू का रस:- आलू को कीसकर इसका जूस निकाल लें और सिर पर लगाकर 15 मिनट के लिए छोड़ दें। इसके बाद हल्के शैपू से बाल साफ करें। इससे बालों का गिरना तो कम होगा ही, साथ ही यह नैचुरल कंडिशनर भी देता है। हिना पैक:- मेहंदी से न सिफ बालों की रंगत बरकरार रहती है बल्कि यह बालों को भी मजबूत बनाती है। इसमें हल्का आंवला पाउडर मिलाकर लगाने के 15 मिनट बाद धो लें। इससे बालों की कंडिशनिंग होगी और बाल मजबूत रहेंगे। मेथी:- मेथीदाना शरीर में टेस्टोस्टेरोन का स्तर बढ़ाता है जिससे बाल मजबूत होते हैं। एक चम्मच मेथी के पेस्ट में दो चम्मच नारियल तेल मिलाएं और बालों में 3 मिनट तक लगाकर रखें। फिर इसे शैंपू से साफ कर लें। अंडे का मास्क:- अंडे में अच्छी मात्र में प्रोटीन है जो बाल घने करने में मददगार है। इसके अलावा, इसमें जिंक, सल्फर, आयरन, सेलेनियम, फॉस्फोरस और आयोडीन भी अच्छी मात्र में है। प्याज का जूस:- प्याज के रस में सल्फर अच्छी मात्र में है जो शरीर में कोलाजेन की मात्र बढ़ाता है जिससे बाल घने होते हैं। प्याज का रस निकालकर इसे बालों पर 15 मिनट तक लगाएं और फिर शैंपू से बाल साफ करें। |