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जानिए क्या है स्वाइन फ्लू और इससे बचने के उपाय

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देशभर में स्वाईन फ्लू का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। स्वाइन फ्लू ने सारे देश में दहशत मचा रखी है। एच1एन1 वायरस अब तक हजारो लोगों की जान ले चुका है। वहीं कई हजार से ज्यादा लोग स्वाइन फ्लू से ग्रसित हैं। यह बहुत जल्दी फैलने वाला रोग है। इससे बचने के लिए संक्रमित लोगों से दूर रहना चाहिए। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर ये स्वाइन फ्लू क्या है, इसके लक्षण क्या है और इससे बचने के उपाय क्या है ?

क्या है स्वाइन फ्लू

स्वाइन फ्लू सूअरों में होने वाला सांस संबंधी एक अत्यंत संक्रामक रोग है जो कई स्वाइन इंफ्लुएंजा वायरसों में से एक से फैलता है | आमतौर पर यह बीमारी सूअरों में ही होती है लेकिन कई बार सूअर के सीधे संपर्क में आने पर यह मनुष्य में भी फैल जाती है |

दरअसल, स्वाइन फ्लू- वायरल बुखार है, यानी ये वायरस से फैलता है। बारिश की वजह से स्वाइन फ्लू का वायरस और घातक हो जाता है। वातावरण में नमी बढ़ने के साथ ही ये ज्यादा तेजी से फैलने लगता है। 

ये वायरस मोटे तौर पर चार तरह के होते हैं। H1N1, H1N2, H3N2 और H3N1। इनमें H1N1 सबसे खतरनाक है और दुनियाभर में यही वायरस सबको अपनी चपेट में ले रहा है

बेशक इस बीमारी का नाम स्वाइन फ्लू है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आपको पोर्क (सूअर का मांस) खाने से यह बीमारी हो सकती है। स्वाइन फ्लू को फैलाने वाला वायरस एच1एन1 वातावरण में संक्रमित लोगों के खांसने और छींकने से फैलता है। मरीज में स्वाइन फ्लू के लक्षण नजर आने से एक दिन पहले से लेकर सात दिन बाद तक संक्रमण रहता है।

स्वाइन फ्लू का वायरस ठंड में अधिक प्रभावी हो जाता है। जैसे-जैसे गर्मी बढ़ने लगती है, इसका असर कम पड़ने लगता है। ठंड और नमी के मौसम में स्वाइन फ्लू के वायरस सक्रिय हो जाते हैं। ऐसे में सावधानी बरतनी बेहद जरूरी

सबसे पहले इस बीमारी के लक्षण मैक्सिको के वेराक्रूज इलाके के एक पिग फॉर्म के आसपास रह रहे लोगों में पाए गए थे। यूं तो आमतौर पर इसके वायरस इंसानों में नहीं फैलते, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक ये बीमारी इंसानों से इंसानों के बीच भी अब फैलने लगी है। ये वायरस उन लोगों में फैल सकता है, जो सुअरों के सीधे संपर्क में रहते हैं।

मनुष्यों में स्वाइन फ्लू के मुख्य लक्षण हैं

स्वाइन फ्लू के लक्षण भी सामान्य एन्फ्लूएंजा जैसे ही होते हैं

-नाक का लगातार बहना, छींक आना

-कफ, कोल्ड और लगातार खांसी

-मांसपेशियां में दर्द या अकड़न

-सिर में भयानक दर्द

-नींद न आना, ज्यादा थकान

-दवा खाने पर भी बुखार का लगातार बढ़ना

-गले में खराश का लगातार बढ़ते जाना

स्वाइन फ्लू का वायरस तेजी से फैलता है। लिहाजा, किसी में स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखें तो उससे कम से कम तीन फीट की दूरी बनाए रखना चाहिए, स्वाइन फ्लू का मरीज जिस चीज का इस्तेमाल करे, उसे भी नहीं छूना चाहिए।

कैसे फैलता है स्वाइन फ्लू?

-स्वाइन फ्लू का वायरस हवा में ट्रांसफर होता है

-खांसने, छींकने, थूकने से वायरस सेहतमंद लोगों तक पहुंच जाता है

डॉक्टरों का ये भी कहना है कि अगर किसी घर में कोई शख्स स्वाइन फ्लू की चपेट में आ गया तो, घर के बाकी लोगों को इससे बचने के लिए डॉक्टरी सलाह ले कर खुद भी इसकी दवाईयां खानी चाहिए।

बचाव

Хइससे बचने के लिये सबसे अच्छा तरीका है हर साल वैक्सीन लगवा लें।
Хइस बीमारी से बचने के लिए हाइजीन का खासतौर पर ध्यान रखना चाहिए. खांसते समय और झींकते समय टीशू से कवर रखें. इसके बाद टीशू को नष्ट कर दें.
Хबाहर से आकर हाथों को साबुन से अच्छे से धोएं और एल्कोहल बेस्ड सेनिटाइजर का इस्तेमाल करें
Хजिन लोगों में स्वाइन फ्लू के लक्षण हों तो उन्हें मास्क पहनना चाहिए और घर में ही रहना चाहिए.
Хस्वाइन फ्लू के लक्षण वाले मरीज से क्लोज कॉंटेक्ट से बचें. हाथ मिलाने से बचें. रेग्यूलर ब्रेक पर हाथ धोते रहें.
Хजिन लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही हो और तीन-चार दिन से हाई फीवर हो, उन्हें तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए.
Хस्वाइन फ्लू के टेस्ट के लिए गले और नाक के द्रव्यों का टेस्ट होता है जिससे एच1एन1 वायरस की पहचान की जाती है. ऐसा कोई भी टेस्ट डॉक्टर की सलाह के बाद ही करवाएं.

अगर किसी को ऐसा लगता है कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है तो उन्हें घर पर रहना चाहिये। ऐसी स्थिति में काम या स्कूल पर जाना उचित नहीं होगा और जहां तक हो सके भीड़ से दूर रहना फायदेमंद साबित होगा।

अगर सांस लेने में तकलीफ होती है, या फिर अचानक चक्कर आने लगते हैं, या उल्टी होने लगती है तो ऐसे हालात में फ़ौरन डॉक्टर के पास जाना जरूरी है | मरीज को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिये, पूरा आराम करना चाहिये, खुद को गर्म रखना चाहिये और ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिये। ताकि उसे डीहाईड्रेशन नहीं हो।

सर्दी-जुखाम जैसे लक्षणों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली तुलसी, गिलोए, कपूर, लहसुन, एलोवीरा, आंवला जैसी आयुर्वेदिक दवाईयों का भी स्वाइन फ्लू के इलाज में बेहतर असर देखा गया है। सर्दियों में इन्हें लेने से वैसे भी जुखाम तीन फिट की दूरी पर रहता है, और स्वाइन फ्लू के वायरस से बचने के लिए भी इतने ही फासले की जरूरत होती है।

कब तक रहता है वायरस

एच1एन1 वायरस स्टील, प्लास्टिक में 24 से 48 घंटे, कपड़े और पेपर में 8 से 12 घंटे, टिश्यू पेपर में 15 मिनट और हाथों में 30 मिनट तक एक्टिव रहते हैं। इन्हें खत्म करने के लिए डिटर्जेंट, एल्कॉहॉल, ब्लीच या साबुन का इस्तेमाल कर सकते हैं। किसी भी मरीज में बीमारी के लक्षण इन्फेक्शन के बाद 1 से 7 दिन में डिवेलप हो सकते हैं। लक्षण दिखने के 24 घंटे पहले और 8 दिन बाद तक किसी और में वायरस के ट्रांसमिशन का खतरा रहता है।

स्वाइन फ्लू का इलाज मौजूद

कुछ हद तक इसका इलाज मुमकिन है। शुरुआती लक्षणों से पता चलता है कि मैक्सिको और अमेरिका के कुछ मरीजों का इलाज टैमीफ्लू और रेलिंज़ा नामक वायरस मारक दवाओं से सफलतापूर्वक किया गया है। ये दवाएं इस फ़्लू को रोक तो नही सकती, पर इसके खतरनाक नतीजों को कम कर जान जरूर बचा सकती हैं। स्वाइन फ्लू से बचने का सबसे अच्छा तरीका साफ सफाई है।

संक्रमण के लक्षण सामने आने के दो दिनों के अंदर ही ऐंटिवायरल ड्रग देना जरूरी होता है। इससे एक तो मरीज को राहत मिल जाती है तथा बीमारी की तीव्रता भी कम हो जाती है। तत्काल किसी अस्पताल में मरीज को भर्ती कर दें ताकि पैलिएटिव केअर शुरू हो जाए और तरल पदार्थों की आपूर्ति भी पर्याप्त मात्रा में होती रह सकें। अधिकांश मामलों में एंटीवायरल ड्रग तथा अस्पताल में भर्ती करने पर सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है।

हम आपको बताते है की ये बीमारी सबसे ज्यादा किन लोगो को होती है |

Хपांच साल से कम उम्र के बच्चे और गर्भवती महिलाएं
Х65 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग और डायबिटीज मरीज
Хफेफड़ों, किडनी या दिल के मरीज
Хमस्तिष्क संबंधी (न्यूरोलॉजिकल) बीमारी मसलन, पार्किंसन
Хकमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग
Хऐसे लोग जिन्हें पिछले 3 साल में अस्थमा की शिकायत रही हो

इन लोगो में स्वाइन फ्लू अधिक होने की सम्भावना होती है |

मास्क से बचाव

अस्पताल या अन्य किसी सार्वजनिक स्थान पर जाने से पहले मास्क पहनें। संक्रमित व्यक्ति के पास जाना अगर जरूरी हो तो मास्क के साथ-साथ दस्ताने भी पहनें। इससे आप बीमारी से सुरक्षित रह सकते हैं।

एन -95 मास्क का करे उपयोग

एन -95 स्पेशल मास्क होता है जिसमें से स्वाइन फ्लू के वायरस पास नहीं हो सकते हैं। सभीप्रमुख केमिस्ट की दुकान पर यह मिल जाता है। भीड़ वाली जगहों पर थ्री लेयर मास्क से भी काफी हद तकबचाव किया जा सकता है। 

 दोबारा भी हो सकता है स्वाइन फ्लू 

अगर आप सोचते हैं कि यह बीमारी जीवन में केवल एक बार हो सकती है, तो आप गलत हैं। किसी भी मौसमी फ्लू वायरस की तरह स्वाइन फ्लू भी आपको आने वाले वर्षों में दोबारा हो सकता है। संक्रमित लोगों के संपर्क में रहने से आप बार-बार इस बीमारी के शिकार हो सकते हैं। स्वाइन फ्लू की वैक्सीन एक साल तक इस बीमारी से आपकी रक्षा करती है।

इस बीमारी से लड़ने के लिए सबसे जरूरी है दिमाग से डर को निकालना। ज्यादातर मामलों में वायरस के लक्षण कमजोर ही दिखते हैं। जिन लोगों को स्वाइन फ्लू हो भी जाता है, वे इलाज के जरिए सात दिन में ठीक हो जाते हैं। कुछ लोगों को तो अस्पताल में एडमिट भी नहीं होना पड़ता और घर पर ही सामान्य बुखार की दवा और आराम से ठीक हो जाते हैं। कई बार तो यह ठीक भी हो जाता है और मरीज को पता भी नहीं चलता कि उसे स्वाइन फ्लू था। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट बताती है कि जिन लोगों का स्वाइन फ्लू टेस्ट पॉजिटिव आता है, उनमें से इलाज के दौरान मरने वालों की संफ्या केवल 0.4 फीसदी ही है। यानी एक हजार लोगों में चार लोग। इनमें भी ज्यादातर केस ऐसे होते हैं, जिनमें पेशंट पहले से ही हार्ट या किसी दूसरी बीमारी की गिरफ्त में होते हैं या फिर उन्हें बहुत देर से इलाज के लिए लाया गया होता है।

सामान्य फ्लू और स्वाइन फ्लू के वायरस में एक फर्क होता है। स्वाइन फ्लू के वायरस में चिड़ियों, सूअरों और इंसानों में पाया जाने वाला जेनेटिक मटेरियल भी होता है। सामान्य फ्लू और स्वाइन फ्लू के लक्षण एक जैसे ही होते हैं, लेकिन स्वाइन फ्लू में यह देखा जाता है कि जुकाम बहुत तेज होता है। नाक ज्यादा बहती है। पीसीआर टेस्ट के माध्यम से ही यह पता चलता है कि किसी को स्वाइन फ्लू है या नहीं। स्वाइन फ्लू होने के पहले 48 घंटों के भीतर ही इलाज शुरू हो जाना चाहिए। इसका पांच दिन का इलाज होता है, जिसमें मरीज को टेमीफ्लू दी जाती है।
 
इस बीमारी से लड़ने के लिए सबसे जरूरी है दिमाग से डर को निकालना। ज्यादातर मामलों में वायरस के लक्षण कमजोर ही दिखते हैं। जिन लोगों को स्वाइन फ्लू हो भी जाता है, वे इलाज के जरिए सात दिन में ठीक हो जाते हैं। कुछ लोगों को तो अस्पताल में एडमिट भी नहीं होना पड़ता और घर पर ही सामान्य बुखार की दवा और आराम से ठीक हो जाते हैं। कई बार तो यह ठीक भी हो जाता है और मरीज को पता भी नहीं चलता कि उसे स्वाइन फ्लू था। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट बताती है कि जिन लोगों का स्वाइन फ्लू टेस्ट पॉजिटिव आता है, उनमें से इलाज के दौरान मरने वालों की संफ्या केवल 0.4 फीसदी ही है। यानी एक हजार लोगों में चार लोग। इनमें भी ज्यादातर केस ऐसे होते हैं, जिनमें पेशंट पहले से ही हार्ट या किसी दूसरी बीमारी की गिरफ्त में होते हैं या फिर उन्हें बहुत देर से इलाज के लिए लाया गया होता है।


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