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Movie Review: हल्‍की-फुल्‍की कॉमेडी के साथ हॉरर कॉकटेल है अभय देओल की "नानू की जानू"

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हॉरर और कॉमेडी, इन दोनों ही जॉनर की फिल्‍मों को भारत में खासा पसंद किया जाता है| ऐसे में निर्देशक फराज हैदर, अभय देओल और पत्रलेखा के साथ मिलकर हॉरर-कॉमेडी की मजेदार कॉकटेल के रूप में फिल्‍म "नानू की जानू" लाए हैं| अभय और पत्रलेखा, दोनों ही ऐसे एक्‍टर हैं जो लंबे समय से फिल्‍मों से दूर रहे हैं, लेकिन पर्दे पर यह जोड़ी (चाहे कुछ ही सीन्‍स में) अच्‍छी लगी है| नानू की जानू एक हल्‍की-फुल्‍की कॉमेडी फिल्‍म है, जो आखिर में एक अच्‍छा संदेश भी देती है| हालांकि बहुत ज्‍यादा लॉजिक्‍स आप इस फिल्‍म न ढूंढे तो अच्‍छा होगा|
 
कास्‍ट: अभय देओल, पत्रलेखा, मनु ऋषि, बृजेंद्र काला, राजेश शर्मा, मनोज पावाह
डायरेक्‍टर: फराज हैदर
स्‍टार: 2 स्‍टार
 
कहानी
नानू (अभय देओल) और उसके दोस्‍त दिल्‍ली-नोएडा में क्राइम करते हैं और मकानों में किराएदार बन उनपर कब्‍जा करते हैं| नानू दबंग गुंडा है, जिसे लोगों के घर पर कब्‍जा करने में कोई दर्द नहीं आता| लेकिन एक दिन एक रोड एक्‍सिडेंट होता है और नानू की पूरी जिंदगी बदल जाती है| लोगों के घर पर दबंगई से कब्‍जा करने वाले नानू के फ्लेट में भूत आ जाता है और वह अपने ही घर में डर-डर कर रहता है|
 
सबसे पहले बात करें फिल्‍म के प्‍लॉट की तो यह एक अच्‍छी सिच्‍युएशन को लेकर बुनी गई कहानी है| साथ ही फिल्‍म ओय लक्‍की ऑय में नजर आ चुकी अभय देओल और एक्‍टर मनु ऋषि की जोड़ी इस फिल्‍म में फिर साथ नजर आई है, जो फिल्‍म की जान है| मनु ऋषि का एफर्टलेस अंदाज आपको थिएटर में जरूर हंसाएगा| अभय देओल एक शानदार एक्‍टर हैं और वह किसी भी किरदार में जैसे रच-बस जाते हैं| ऐसे में अभय को इतने समय बाद देखकर बस यही महसूस होता है कि उन्‍हें और भी फिल्‍में करनी चाहिए| वहीं पत्रलेखा की बात करें तो उनके लिए फिल्‍म में करने को कुछ नहीं है| यहां तक की वह भूत भी बनी नजर नहीं आ रही हैं| अक्‍सर हॉरर-कॉमेडी फिल्‍मों में भूत ही कॉमेडी करता नजर आता है, या कहें भूत से कोई डरता ही नहीं है| लेकिन नानू की जानू की अच्‍छी बात यही है कि जब हॉरर सीन हैं, तो वह आपको कुछ हद तक सच में डराते हैं| इस फिल्‍म में भूत, जोकर नहीं बन पड़ा है|
 
इस फिल्‍म में आपको कई पल ऐसे मिलेंगे जिसमें हंसी आएगी| लेकिन इंटरवेल के बाद कहानी काफी खिंची हुई महसूस होती है| आखिर होगा क्‍या? जैसा सवाल बार-बार सामने आता है| साथ ही कहानी काफी गोल-गोल घूमती है| वहीं इस कॉमेडी फिल्‍म में पत्रलेखा के पिता के किरदार में नजर आए राजेश शर्मा ने कुछ निराश किया| कुछ मिलाकर अगर आप इस वीकेंड कुछ और मजेदार नहीं कर रहे और फिल्‍म देखना चाहते हैं तो यह फिल्‍म एक बार देखी जा सकती है|


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